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भारतीय मसालों पर नेपाल ने भी बैन लगाया

१८ मई २०२४

सिंगापुर और हांगकांग के बाद अब नेपाल ने भी एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों को बैन कर दिया है. ये दोनों भारतीय ब्रांड एक कीटनाशक के इस्तेमाल को लेकर विवादों में हैं. इससे भारत के मसाला निर्यात में गिरावट की आशंका भी है.

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Indisches / Pakistanisches Essen
भारत का खाना और भारतीय मसाले दुनिया भर में मशहूर हैंतस्वीर: Olena Yeromenko/Zoonar/picture alliance

ए़मडीएच और एवरेस्ट के मसाले दुनिया भर में निर्यात किए जाते हैं. लेकिन कुछ हफ्तों पहले रिपोर्टें आईं कि इनके कुछ उत्पादों में एथीलीन ऑक्साइड नाम का कीटनाशक मौजूद है जिससे कैंसर हो सकता है. इसके बाद सिंगापुर और हांगकांग ने इन मसालों पर बैन लगा दिया.

कीटनाशक के तौर पर इस्तेमाल होने के साथ-साथ एथीलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल मेडिकल उपकरणों को स्टरलाइज करने के लिए भी होता है. मसालों में भी इसे स्टरलाइज एजेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है ताकि सालमनेला और ई कोली बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों को रोका जा सके. लेकिन अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी का कहना है कि इस रंगहीन और गंधहीन यौगिक के लगातार संपर्क में रहने से "श्वेत रक्त कोशिकाओं में कैंसर का जोखिम" बढ़ जाता है.

मामला सेहत का है

नेपाल के फूड टेक्नोलोजी और क्वालिटी कंट्रोल विभाग की प्रमुख मतीना जोशी वैद्य ने बताया कि कुल चार भारतीय मसालों पर रोक लगाई गई है. उन्होंने कहा, "यह लोगों की सेहत से जुड़ा मुद्दा है. हमने गुरुवार से आयात और बिक्री पर रोक लगा दी है." जिन मसालों पर रोक लगाई गई है उनमें तीन एमडीएच के और एक एवरेस्ट का है. वैद्य ने कहा, "हमारे पास इतने संसाधन नहीं हैं कि हम अपने देश में लैब टेस्ट कर सकें. जब भारतीय अधिकारी उन्हें सुरक्षित  घोषित कर देंगे, बैन हटा लिया जाएगा."

एमडीएच और एवरेस्ट भारत में मसालों के दो सबसे बड़े ब्रांड हैं. डाटा जुटाने वाले ऑनलाइन प्लैटफॉर्म स्टैटिस्टा के अनुसार 2022 में, एमडीएच की बाजार में हिस्सेदारी 16 प्रतिशत और एवरेस्ट की 10 प्रतिशत रही. सिंगापुर और हांगकांग की तरफ से लगाए गए बैन के बाद दोनों ही कंपनियों ने बयान जारी कर अपने उत्पादों को सुरक्षित बताया है.

एमडीएच ने पिछले महीने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा, "हम स्पष्ट करते हैं और दो टूक कहते हैं कि ये दावे झूठे हैं और इन्हें साबित करने वाले कोई सबूत नहीं हैं." भारतीय मीडिया संस्थान एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार भारत की खाद्य नियामक एजेंसी ने सरकारी आधिकारियों  से मसालों की जांच करने को कहा है.

निर्यात होगा प्रभावित

दूसरी तरफ, भारतीय मसालों के एक व्यापारिक समूह ने इस पूरे विवाद से निर्यात में 40 फीसदी की गिरावट का अंदेशा जताया है. भारत दुनिया में मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक, उत्पादक और उपभोक्ता है. अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक उसने दुनिया भर में 4 अरब डॉलर के मसालों का निर्यात किया. लेकिन एमडीएच और एवरेस्ट को लेकर जारी विवाद के मद्देनजर फेडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेकहोल्डर्स (एफआईसीसी) ने कहा है कि कुछ खरीददारों ने फिलहाल अपने ऑर्डर रोक दिए हैं.

ब्रिटेन के खाद्य नियामकों ने पहले ही भारत से आने वाले मसालों की अतिरिक्त जांच के लिए आवेदन किया हुआ है. अमेरिका और न्यूजीलैंड भी इस मामले पर नजर रखे हुए हैं. एफआईसीसी के सचिव तेजुस गांधी ने कहा, "अगर अन्य देश भी इसी तरह के कदम उठाने लगा तो हमारे मसालों का निर्यात 40 फीसदी तक गिर सकता है." एफआईसीसी के साथ भारत के 600 मसाला उत्पादक जुड़े हैं.

गांधी ने अहमदाबाद में एक प्रेस कांफ्रेस में कहा, "बहुत से देश सवाल पूछ रहे हैं. बहुत सारे मसाला निर्यातकों के पास ऑर्डर हैं. उन्हें रोक दिया गया है." पिछले महीने भारत के स्पाइस बोर्ड ने कहा था कि देश में एथीलीन ऑक्साइड को लेकर कड़े नियम और दिशा निर्देश हैं और वह देश से बाहर जाने वाली खेप पर खुद नजर रखेगा.

एके/एसबी (रॉयटर्स, एएफपी)

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